Saturday 13 May 2017

इस श्राद्ध हुए कौवे नाराज
इस श्राध्द गजब हो गया देवलोक में हाहाकार मच गया। सारे कौवे नाराज हो गए और देवलोक पहुंच गए। कौओ ने देवताओं केउपर प्रहार करते हुए कहा हमारी कोई इज्जत ही नही है। हमे लोग घृणा की दृष्टि से देखते है और कहते हे तुम अपशगुनी हो। लेकिन हम गलती से कभी बोल गए तो हमारी खैर नहीं। इतने बेकार लोग है कि पत्थर मारकर हमारा मुंह तोड़ दें। उसमें से एक कौवे के सब्र का बांध टूट गया। वो बोला पता है ये लोग इतने लालची है काम पड़ने पर हमें याद करते है, वो भी साल में बस 16 दिन। ना ही हमारी धार्मिक वैल्यू है और ना ही सामाजिक। वो तो झूठ बोलकर लोगों ने हमें रोक रखा था। कि अच्छे दिन आने वाले है, काला धन आने वाला है। हमने भी सोचा रुक जाओ यार ये काला धन आ जाएगा तो हमें भी कुछ पैसे मिल जाएंगे। जिससे हम सर्जरी करा कर गौरे तो हो ही जाएंगे और हमारे भी अच्छे दिन आ जाएंगे। लेकिन सब मक्कार और झूठे है। कसम से बता रहे है हम अपनी औकात पर आकर झूठ बोलने वालों को काटने लगे तो अस्पतालों के बेड भर जाएंगे प्रभु हमें तो योनि ऐसी मिली है कि हम सिर्फ मरे हुए पशु-पक्षियों का मांस खाकर पेट भर लेते है। लेकिन इन नेताओं का पेट इतना बड़ा है कि ये तो जिंदा लोगो का भी.... प्रभु जो भी हो हमने बहुत सजा भुगत ली अब कुछ भी करो हमें श्राप से मुक्त करों नही तो हम यहीं आमरण अनशन करेंगे। फिर मत कहना तुमने लोगों का श्राद्ध बिगाड़ दिया। पूरा देव लोक सदमें मे है। 
हम तो जिम्मेदारी निभा रहे है
सच बोलने की हिम्मत हर किसी में नहीं होती। हमारे बडे नेता वैंकया नायडू ने ये हिम्मत दिखाई और प्रेस को नसीहत देते हुए कहा कि अच्छी बातें छापे और बुरी बातों से परहेज करें। ये मंत्री नाम का जो पद है न जिसको मिलता है वह इस पर बैठता नहीं है, क्योंकि आराम करने का तो इनके पास समय ही नहीं है। जितना भी समय होता है उसमें भाषण याद करते है। इतना भाषण याद करने के बाद कभी-कभी कुछ अनाप-सनाप निकल ही जाता है। ये ठीक है लेकिन प्रेस वालों को इसे छापकर सभी को दिखाने की क्या जरूरत है। ऐसा है कि दिन में दो-चार जगह बोलबाल लेते है तो मन हल्का हो जाता है। राजनेताओं का ऐसा है न कि ये भी बेचारे क्या करे जैसे पेट में गुड़गुड़ हाने पर जाना ही पड़ता है, वैसे इनके जुबान में भी गुड़गुड़ मची रहती है जो आता है वह निकाल देते है। सभी से गुजारिश है कि एक बात समझ लो और गांठ बांध लो कि जिनके हाथ में सूचना का प्रसारण करता है वह कैसे कोई चीज गलत छपने दे सकते है। भई सभी नेतोओं की जिम्मेदारी है कि सत्ता में रहना है तो कुछ बुरा न छपने पाए, अब जिम्मेदारी तो निभानी ही पडे़गी।

परिवार के लिए छोड़ी गद्दी

राजगद्दी सभी को प्यारी होती है, जो राजनीति में नहीं है उन्हें भी और जो राजनीति में है उनमे तो इतनी कूबत है कि बैठ जाए तो कुर्सी के चारों पाए ताड़ दे। इन सभी को कुर्सी की एक टांग भी मिल जाए तो उसके सहारे पूरी जिंदगी काट ले। अब आपको इस कुर्सी की अहमियत तो पता चल ही गई होगी। यदि कोई राजगद्दी पर बैठा है तो वह कोशिश करता है कि बची हुई जगह में पूरा परिवार बैठ जाए। लेकिन न्यूजीलैंड के प्रधानमंत्री तो कुर्सी छोड़कर परिवार वालों के पास ही चले गए। भला ऐसा कौना सा प्रधानमंत्री है जो परिवार के लिए कुर्सी छोड़ दें। लेकिन क्या करें ये विदेशी नेता होते ही ऐसे है। जब कुर्सी छोड़नी थी तो राजनीति में आए ही क्यों। ये ऐसे ही उल्टे-सीधे फैसले ले लेते है इनको समझ ही नहीं आता, कहीं यं बुरी आदतें हमारे नेताओं को न लग जाए। इसलिए इनके परिवार वालों ने तो कहना भी बंद कर दिया कि हमें आपकी याद आ रही है। परिवार वालों का तो कहना है कि एक मिनिट भी मत गवाओं हमारी छोड़ो बस विकास पर ध्यान दो। हमारे यहां के नेता परिवार वालों से बहुत जल्दी प्ररित हो जाते है और बस विकास कार्यो में ही लगे रहते है। अरे ये विदेशी नेता कितना भी कुछ कर ले लेकिन इस तरह का कोई भी बुरा असर हमारे नेताओं पर नहीं पड़ने वाला। सायद उन्हें पता नहीं है कि हमारे नेता दीमक से प्रेरित है। शरीर साथ दे न दे लेकिन जब तक जुबान साथ दे रही है समझो कुर्सी जिन्दाबाद।

आई सर्जिकल स्टाइक की आंधी

ऐसा है कि सर्जिकल स्ट्राइक नाम की आंधी ने राजनेता नामक रूपी कचरे को बहुत बुरा उड़ाया है। ये राजनीतिक कचरा चीख-चीख कर कह रहा है कि हम जैसे कचरों की वजह से ही तो ये आंधी आई है। यदि आंधी में कचरा ही नहीं दिखेगा तो वह आंधी किस काम की। इस आंधी को लाने के जो असली हकदार है उन्हें भूलकर सारा श्रेय इन राजनेताओं ने ले लिया ह और लग गए एक-दूसरे पर बरसने। इसमें एक कचरा सबसे आगे उड़ रहा है क्योंकि उसका उसका गला साफ और खांसी बंद हो गई है इसका फायदा उठाते हुए बोल पड़ा कि ये आंधी हम नहीं लाए तो तुम भी नहीं लाए। यदि लाए हो तो दिखाओ सबूत। इस पर दूसरे कचरे का खून खौल गया और वह अपनी मां से बोला कि मैं भी कुछ बोल दूं मां ने कहा बेटा तुने आज तक तो कोई झंडे़ नहीं गाडे़। लेकिन बोलना तो जरूरी है खबरों में बने रहने के लिए। फिर क्या था मां का आशीर्वाद मिलते ही बोल दिया कि ये आंधी जिनकी वजह से आयी है सत्ता में रहने वाले उनके खूनकी दलाली कर रहें है। बस फिर सारे कचरे आपस में युद्ध कर गंदगी फैला रहे थे। लेकिन उसमें से एक कचरा स्वच्छ भारत का मसीहा था, तो उसने स्वच्छता का हवाला देते हुए सभी कचरों को डस्टबिन में डाल दिया। अब बचे ये अकेले इसका मतलब ये हुआ कि सर्जिकल स्ट्राइक की आंधी ये लाएं थे।

Wednesday 19 October 2016

घर छोड़ कब्रिस्तान में मंत्री


अरे भईया हम इतने दिनों से बेवजह ही परेशान है कि किसान कर्जे से और मुआवजा नहीं मिलने से मर रहे है| लेकिन गृह मंत्री ने जद्दोजहद के बाद पता लगा ही लिया कि किसानों को भूत-प्रेत मार रहे है| चलो हमें कुछ पता तो चला, और क्यों न हो भला मंत्रीजी इसका पता लगाने घर के सारे काम छोड़कर कब्रिस्तान की और चल दिए| 
देखों आपको तो पता ही है कि घर का काम कितना ज्यादा होता है और ऊपर से गृह मंत्री तो दुगना काम| लेकिन मंत्रीजी का खून उबाल मारा साला घर का काम तो ख़त्म ही नहीं होता, बहुत दिनों से मीडिया चर्चा में भी नहीं आये| कहीं जनता हमें भूल न जाये इसलिए मंत्रीजी ने कदम बढ़ाया और कब्रिस्तान पहुंच गए| उन्हें खुद पता नहीं की वो कब्रिस्तान क्यों आये| इसमें इनकी भी कोई गलती नहीं हे अब सरकारी नशा होता ही ऐसा है| मंत्रीजी ने सोचा कि जब कब्रिस्तान आ ही गए है तो कुछ काम कर लिया जाये| 
आपको तो पता है इनसे आराम नहीं होता, काम करने के लिए तो तत्पर रहते है| तो बस जाँच-पड़ताल शुरू कर पता लगाया कि कुछ मरे हुए नेताओं की प्रेत-आत्मा किसानों को मार रही है| लेकिन मंत्रीजी को पता नहीं है कि जीवित नेता तो किसानों को....| खैर छोड़ो मजे की बात तो ये है कि भूत-प्रेत किसान को मार रहे है, ऐसा कहना है हमारे मंत्रीजी का| ये बात जैसे ही किसानों को पता चली उनके बीच हडकंप मच गया| किसान परेशान हो गए कि हमें जो लाखों-करोडों का मुआवजा मिला है कहीं वो सरकार को वापस न देना पड़े| क्योंकि ये पैसा जबसे किसानों को मिला है वे आराम की जिन्दगी जीने लगे है और खेती करना भी छोड़ दिया है| स्वभाविक सी बात है कि मंत्री जी का खून तो उबाल मरेगा ही इसलिए वो सच्चाई को सामने लेकर आ रहें है| 
सरकार जनता के लिए नौकरों की तरह काम करके पैसा जुटाती है, वो क्यों चाहेगी कि पैसा गलत हाथ में जाये| खैर जनता को एक बात समझ लेनी चाहिये गृह मंत्री घर छोड़ बाहर निकल चुके है और कुछ तो कर रहे है|

गणेश जी का सीक्रेट इंटरव्यू

अप्पी लेलो झप्पी लेलो ......

अभी-अभी सूत्रों के मुताबिक एक सनसनीखेज खबर सामने आई है, इस गणेश चतुर्थी पर गणेश जी ने आने से मना कर दिया है! कि इस बार मैं दस दिन तो क्या एक दिन के लिए भी नहीं बैठूँगा! ये घटना हमारे रिपोर्टर को जैसे ही पता चली तुरंत गणेश जी के इंटरव्यू को चल दिए और बातचीत के दौरान गणेश जी ने 'न' आने की वजह बताई कि मैं क्यों 'आऊ' | मेरे गानों से ज्यादा हनी सिंह की आवाज मेरे कानों में गुंजती है, यहाँ तक की मुझे जो भोग लगाया जाता है पूरा मिलावटी होता है, पिछली बार मेरा पेट खराब हो गया था
ये तो फिर भी ठीक है। मुझे गर्ल्स होस्टल में बिठाया गया और जब दसवें दिन मुझे भेजते हुए लड़कियां जो नारे लगा रही थी कि “अप्पी लेलो झप्पी लेलो गणेश जी की पप्पी लेलो” वो भी समाज के सामने ये तो उससे भी बुरा था. अरे अपनी भी एक छवि है यार , और ये छवि दिखावटी लोगों की तरह महिलाओं के पैर छू कर नहीं बनाई है |
ये तो हुई घर की बात, बाहर जहाँ स्टेज लगा कर मुझे बिठाया जाता है वहां मेरे बारे में बात तक नही होती ...कुछ लोग तो मौका ढूंढते थे कि कब गणेश जी बैठे और हम समाज को दिखा सकें कि हम कितना काम कर रहे हैं कुछ लोग तो मेरे सामने वो खाकी चड्डा पहनकर ही जय श्री राम के नारे लगाने लगते हैं इन्हे दिखावा करने की आदत है इसलिए ये पेंट नहीं पहनते कुछ लोग ऐसे भी होते हैं जो पूरे साल तो सोये रहते हैं लेकिन जैसे ही गणेश जी आये वो भी एकदम से जाग जाते हैं उन्हें पता है कि गणेश की पूजा में लोग आएंगे ही उन्हें वही समझाईश दे देंगे घर घर कौन जायेगा। सारी परेशानियों का हल मंच से ही कर देंगे बस फिर क्या है भाषण बजी आरंभ हो जाती है गरीबों के बारे में हम सोच रहें है, काले धन को वापस लाने की कोशिश की जा रही है, महंगाई कम हो इस पर विचार कर रहे हैं लेकिन हाँ ये बात अच्छी है कि ये लोग कुछ काम कर रहे हैं इतना काम करते हुए में किसी को नहीं देख सकता, पिछली बार भी यह सब सुनकर मेरी आँखों में आंसू आ गए थे कि बिचारे कितना तो काम करते हैं आखिर कोई अपनी जिंदगी में इतना काम कर कैसे सकता है , बस यही सब मुझसे दोबारा देखा नहीं जायेगा इसलिए कह दो कि में नहीं आऊंगा ,मेरे मन में भी कुछ करने की इच्छा है इसलिए मैं विदेश यात्रा पर जा रहा हूँ और सबसे पहले पाकिस्तान जाऊंगा |